🔥विचार प्रवाह🔥
✨सुव्यवस्था हो मतदाता का ध्येय✨
चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक दलों के समर्थक व आम जनता अपने पसंदीदा दलों को जिताने की कशमकश में लग जाती है। कोई अपनी जाति के प्रत्याशी को जिताने के लिए जी-तोड़ मेहनत करता है, तो कोई अपने निजी स्वार्थ सिद्धि के लिए अनाप-शनाप मांगों को मनवाने का प्रयत्न करता है। जिसका दुष्परिणाम यह होता है देश में भाई-भतीजावाद, जातिवाद, मजहबवाद आदि तरह-तरह की विसंगतियां उत्पन्न होती जा रही हैं। इसके चलते सत्ता पर काबिज होने वाला राजनीतिक दल संपूर्ण प्रदेश या संपूर्ण देश का विकास औंर सुव्यवस्था का प्रयास न करके केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए ही कार्य करता है।
यही कारण है कि राजनीतिक दल देश में पनपती जा रही मजहब, जाति, पंत, भाषा, वर्ग-भेद और लिंग-भेद आदि विसंगतियों को समाप्त करने के बजाए अपना राजनीतिक उद्देश्य साधने में लग जाते हैं। कोई दल केवल मुस्लिम मुस्लिम की बात करता है, तो कोई दलित और मुस्लिम, यादव और मुस्लिम, जाट और मुस्लिम आदि आदि समीकरण तय करके अपनी जीत का एजेंडा निश्चित कर लेते हैं। इन राजनीतिक विसंगतियों के कारण राष्ट्र का विकास अवरुद्ध होता है अतः मतदाता को सत्ता परिवर्तन ही नहीं सुव्यवस्था के लिए मतदान करना चाहिए। ताकि देश में जाति, पंथ, भाषा, वर्ग-भेद आदि तरह-तरह की विसंगतियां देश के विकास और सुव्यवस्था के एजेंडे को छिन्न-भिन्न न कर दें।
~पारस परमश्रेष्ठ, मेरठ।
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